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A Complete Solution for Sexual Disorders
सेक्सुअल फिट होना एक बहुत व्यक्तिगत और संवेदनशील विषय है, और इस पर विचार अलग-अलग व्यक्तियों, संस्कृतियों, और समाजों में भिन्न हो सकते हैं। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का संबंध किसी के संपूर्ण जीवन से होता है, जिसमें शारीरिक फिटनेस भी महत्वपूर्ण है। यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, तो इसका असर आपकी ऊर्जा, आत्मविश्वास और जीवन के अन्य पहलुओं पर भी पड़ सकता है।
गुप्त रोग होने पर लोगों का वैवाहिक (दाम्पत्य) जीवन नरक बन जाता है। इसके मुख्य कारण गलत संगत, बचपन की गलतियां इत्यादि इत्यादि हो सकते है।
लेकिन सेक्सुअल फिटनेस सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य पर निर्भर नहीं होती; इसमें मानसिक और भावनात्मक पहलू भी शामिल होते हैं। यह जरूरी है कि व्यक्ति अपने शरीर, मानसिकता और रिश्तों के प्रति समझ और सम्मान रखें।

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Why Choose us for Ayurvedic Treatment
जैसा की हम सभी जानते है कि गुप्त रोग मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के होते है। कोई भी अधूरा इलाज या गलत इलाज आपकी यौन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। वही एलोपैथी दवाइयां भी कामगार होती है लेकिन एलोपेथी के साइड इफ़ेक्ट कितने होते है वो आप और हम सभी जानते है। इसलिए हम आपके लिए आपकी सेहत को देखते हुए आपके शरीर की तासीर के हिसाब से फार्मूला तैयार करके आपका बेहतर इलाज करते है।

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कूरियर सेवा
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
आयुर्वेदिक पद्धति से असाध्य रोगों का इलाज
आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, जो प्राकृतिक उपायों और जीवनशैली के सुधार के माध्यम से शरीर, मन, और आत्मा की संतुलन की ओर कार्य करती है। इसमें उपचार के लिए विभिन्न हर्बल दवाएं, आहार, व्यायाम, ध्यान, प्राणायाम और पंचकर्म जैसी प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद का उद्देश्य केवल लक्षणों का इलाज करना नहीं, बल्कि शरीर के भीतर की असंतुलन को ठीक करके समग्र स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारना है।
आयुर्वेद के प्रमुख सिद्धांतों में त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक व्यक्ति का शरीर इन तीन दोषों के संतुलन पर निर्भर करता है, और किसी भी दोष का असंतुलन बीमारी का कारण बन सकता है।


आयुर्वेदिक उपचार की कुछ मुख्य विधियाँ:
हर्बल दवाएं – आयुर्वेद में पौधों और उनके अर्क का उपयोग किया जाता है जैसे तुलसी, अश्वगंधा, आंवला, हल्दी, गिलोय, इत्यादि। यह दवाएं शरीर की प्राकृतिक शक्ति को बढ़ाने और रोग प्रतिकारक क्षमता को सुदृढ़ करने में मदद करती हैं।
पंचकर्म – यह एक शारीरिक डिटॉक्स प्रक्रिया है, जिसमें पांच प्रमुख उपचारों का समावेश होता है: वमन (उल्टी), वात (एनिमा), रक्तमोक्ष (ब्लडलेटिंग), नस्य (नाक द्वारा औषधि का सेवन), और बस्ती (शरीर के अंदर औषधियों का प्रवेश)।
आहार और जीवनशैली सुधार – आयुर्वेद में यह माना जाता है कि भोजन और जीवनशैली का शरीर और मन पर गहरा असर पड़ता है। संतुलित आहार, समय पर भोजन, उचित निद्रा, और नियमित व्यायाम के माध्यम से शरीर के दोषों को संतुलित किया जाता है।
योग और प्राणायाम
आयुर्वेद और योग का समन्वय शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्राचीन आयुर्वेदिक परंपराओं में यह माना जाता है कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध है। योग और प्राणायाम न केवल शारीरिक लचीलापन और ताकत बढ़ाते हैं, बल्कि यह मानसिक शांति, तनाव मुक्ति, और ध्यान की स्थिति को भी सुदृढ़ करते हैं। प्राणायाम, जैसे कपालभाती और अनुलोम-विलोम, श्वसन प्रणाली को साफ करते हैं, रक्त संचार को बढ़ावा देते हैं और तनाव को कम करते हैं। इसके अलावा, आयुर्वेद में सही आहार और जीवनशैली का पालन करने की भी सलाह दी जाती है, जो योग और प्राणायाम के साथ मिलकर समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

What Our Patients Are Saying


